तिलस्मी किले का रहस्य भाग_ 7




कहानी _**तिलस्मी किले का रहस्य**

भाग _ 7

लेखक _ श्याम कुंवर भारती

सुरभी जहा गिरी थी वहा बहुत मजबूत पत्थरों की सीढ़ियां बनी हुई थी।सामने पत्थर की ही रेलिंग बनी हुई थी जहा वो जाकर रुक गई ।पीछे से प्रताप भी लुढ़कता हुआ उसके ऊपर गिर पड़ा।सुरभी चीख पड़ी ।
प्रताप ने तुरंत खुद को संभाल लिया। वो उठकर खड़ा हो गया। उसने फिर सुरभी का हाथ पकड़कर उठा लिया।
ये तुमने कौन सी मुसीबत मोल ले ली देखो हमलोग कहा आ गए ।अब यहां से बाहर कैसे निकलेंगे सोचो।
प्रताप ने नाराज होते हुए कहा।
मैंने जान बूझकर थोड़े ही न ऐसा किया जो तुम मुझपर नाराज हो रहे हो ।मुझे उस कमल फूल की पंखुड़ियां अच्छी लगी इसलिए सिर्फ छूकर देखना चाहती थी। लेकिन मुझे क्या पता था।कमल फूल को छूते ही कोई तहखाना या सुरंग खुल जाएगी और मैं गिर पडूंगी।
सुरभी ने सफाई दिया।
लेकिन तुमको सबने मना किया था कि किले की किसी वस्तु को छूना नही है।केवल देखना था। फिर भी तुमने पत्थर के बने कमल फूल की पंखुड़ियों को छुआ और देखो क्या हुआ ।प्रताप अब भी नाराज था।

चलो ठीक है मुझसे गलती हुई लेकिन तुम क्यों मेरे पीछे यहां आ गिरे।सुरभी ने गुस्से में कहा ।

लो देखो एहसान फरामोस को ।एक तो इसको बचाने के लिए मैने अपनी जान जोखिम में डाल दिया और उल्टे मैडम मुझपर ही तोहमत लगा रही है।
प्रताप ने नाराज होकर कहा ।
अच्छा चलो जो हुआ वो हुआ अब यहां से बाहर निकलने का रास्ता सोचो वरना पता नही हम दोनो इस तहखाना में कब तक भटकते रहेंगे।
सुरभी ने प्रताप का गुस्सा शांत करते हुए कहा।
प्रताप ने नीचे देखा देखा सीढ़ियां नीचे की तरफ जा रही थी।उसने ध्यान दिया तहखाने के भीतर हल्की फुल्की रोशनी आ रही थी।
चलो सीढ़ियों के रास्ते नीचे उतर कर देखते है शायद कोई रास्ता होगा लेकिन किसी चीज को छूना नही पता नही कौन सी मुसीबत आ जाए।प्रताप ने सुरभी का हाथ पकड़ कर नीचे उतरते हुए कहा ।
गुड़िया जोर जोर से चिल्ला रही तालाब के किनारे से अरे देखो सुरभी दीदी और प्रताप भैया तालाब में उस मूर्ति के पास डूब गए जल्दी बचाओ उनको।
उसकी चीख पुकार सुनकर सबका ध्यान उधर गया।
स्कूल के बच्चे और शिक्षक जो इधर उधर घूम रहे थे सभी तालाब के किनारे जमा हो गए।
इतिहास की शिक्षक सोनिया शास्त्री ने तुरंत गाइड से कहा _ तुरंत यहां के प्रबंधन को सूचित करो और उन दोनो को बचाने के लिए बोलो।
उस गाइड ने फोन पर किसी को बोला ।तुरंत दो छोटी नाव के साथ चार गोताखोर बुलाए गए।
सबने पूरा तालाब छान मारा लेकिन उन दोनो का कही पता नही चला ।
गुड़िया रोने लगी थी ।तुरंत एनडीआरएफ और पुलिस को सूचित किया गया।गुड़िया ने होटल में अपने पिता मैनेजर को फोन कर दिया।
थोड़ी देर में पुलिस और एनडीआरएफ की टीम आ गई ।पुलिस सबसे पूछताछ करने लगी । एनडीआरएफ की टीम तालाब का चप्पा चप्पा छानने लगी ।मगर कोई परिणाम नहीं निकला ।
तालाब के पानी को दूसरे जगह खाली करने का निर्णय किया गया।सबको आश्चर्य हो रहा था दोनो अगर तालाब में नही है तो कहा गायब हो गए।

शेष अगले भाग_ 8
लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड मो.9955509286



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6 Comments

Mohammed urooj khan

19-Jan-2024 05:15 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Alka jain

16-Jan-2024 10:57 PM

Nice

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Varsha_Upadhyay

09-Jan-2024 01:49 PM

Nice one

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